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Sameer Kumar

Software engineer at HCL technologies | Posted on | astrology


गरुण पुराण कब और क्यों पढ़ी जाती है ?


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Optician | Posted on


जब भगवन किसी इंसान के जीवन कि किताब बनाता है तो वो उस किताब के केवल दो पेज ही लिखता है ,एक तो उसका जन्म और दूसरा उसकी मृत्यु | बाकी पूरी किताब खाली होती है जिसमे इंसान अपने अच्छे और बुरे कर्मो कि एक सूचि तैयार करता है | इंसान मरने के बाद का स्थान अपने कर्मो के द्वारा निर्धारित करता है | कहते है अच्छे कर्म करो तो स्वर्ग मे जगह मिलेगी और बुरे कर्म करो तो नर्क मे | वो इंसान खुद निर्धारित करता है उसको जाना कहा है |

ये बाते तो सभी जानते है की उनका भविष्य उनके कर्म पर निर्धारित है ,और ये भी जानते है कि इंसान कि मृत्यु के बाद मर्त व्यक्ति के लिए गरुण पुराण का पाठ किया जाता है | पर क्यों किया जाता है ये कोई नहीं जानता | शास्त्रों ने बताया है की जिस मनुष्य का जन्म हुआ है वो इस धरती से जाएगा ही बस कोई पहले तो कोई बाद मे पर जाना जरुरी है क्योकि जो चीज इस धरती मे जन्म लेती है उसका नष्ट होना प्रकृति है |

इंसान कि मृत्यु के बाद कुछ धार्मिक परंपरा है जो उसके घर वालो को पूरी करना पड़ता है | उनमे से एक है किसी कि मृत्यु के बाद उसके घर मे "गरुण पुराण " का पाठ होना | माना जाता है कि गरुण पुराण उस मृत व्यक्ति कि मुक्ति का आखरी राश्ता होता है | एक अंतिम सीडी होती है जिसकी सहायता से मरने वाले को उसके कर्मो के हिसाब से स्थान मिलता है | और उसकी आत्मा को शांति मिलती है |कहते है अकाल मृत्यु होने वाले की आत्मा को शांति नहीं मिलती तो यह "गरुण पुराण " का पाठ उसकी आत्मा की शांति के लिए होता है |

गरुण पुराण मे ऐसे कई सवाल के जवाब है जो आम इंसान जानने मे उत्सुक होता है | गरुण पुराण के रहस्यों को समझने के बाद मृत व्यक्ति के घर वालो को दुःख सहने कि शक्ति मिलती है | और वो ये समझ जाते है कि इंसान को कैसे कर्म करने चाहिए |



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हिंदू धर्म में पुराणों को संस्कृति साहित्य के महत्वपूर्ण ग्रंथ माने गए हैं। पुराणों की कुल संख्या अठारह होती है।
बात करें गरुण पुराण की तो इस पुराण को हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इसे महापुराण कहा गया है।
जब परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हो जाती है तब आत्मा की शांति के लिए गरुण पुराण का पाठ कराया जाता है ताकि आत्मा को मोक्ष प्राप्त हो।। यह पाठ मृत्यु के पश्चात 12 से 13 दिनों तक किया जाता है।

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गरुण पुराण का पाठ न केवल पितरों को सुनाया जाता है बल्कि परिजनों को भी सुनाया जाता है क्योंकि उस समय परिवार शोक से भरा हुआ होता है। इस पुराण को पढ़ते से परिजनों को कष्ट सहने की शक्ति मिलती है। गरुण पुराण का पाठ व्यक्ति को हमेशा अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरणा देता है। इस पुराण में धर्म, वैराग्य, दान, तप, नीति, ज्ञान, रहस्य, आत्मा,स्वर्ग-नर्क व अन्य लोकों का वर्णन किया गया है।
गरुण पुराण में भगवान विष्णु के 24 अवतारों का वर्णन किया गया है। इस पाठ में मौत के बाद आत्मा अपने सुकर्मों और कुकर्म को भोगती है।शास्त्रों के अनुसार कोई आत्मा मृत्यु के पश्चात ही‌ दूसरा जन्म धारण कर लेती है। गरुण पुराण पढ़ने से व्यक्ति को सारे सुखों की प्राप्ति होती है। गरुण पुराण पढ़ने से व्यक्ति मोक्ष को प्राप्ति करता है।


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हमारे हिंदू धर्म में जब भी किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाती है। तो उसकी आत्मा यहां वहां भटकते रहती है और उसकी आत्मा को शांति दिलाने के लिए उनके परिवार के लोग गरुड़ पुराण का पाठ करवाते हैं ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके। आज यहां पर हम आपको गरुड़ पुराण से जुड़ी बात बताना चाहते हैं कि आखिर गरुड़ पुराण कब और क्यों करवाई जाती है?

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि जब भी कोई व्यक्ति इस पृथ्वी में जन्म लेता है तो उसकी मृत्यु होना निश्चित है। जब भी परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो हिंदू धर्म में 13 दिनों तक गरुण पुराण का पाठ करवाया जाता है कहां जाता है कि 13 दिन तक मृतक उसी घर में रहता है और गरुड़ पुराण का पाठ सुनता है क्योंकि गरुड़ पुराण के पाठ सुनने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है इसीलिए गरुड़ पुराण करवाना बहुत ही जरूरी होता है।Letsdiskuss


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Preetipatelpreetipatel1050@gmail.com | Posted on


आइए जानते हैं कि हमारे हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण कब और क्यों पढ़ा जाता है.

हमारे धर्मशास्त्र के अनुसार गरुड़ पुराण मनुष्य के मृत्यु के पश्चात पढ़ा जाता है। जब किसी के घर में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उस घर में गरुण पुराण सुनाया जाता है क्योंकि, ऐसा माना जाता है कि उस घर में गरुड़ पुराण करने से व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है और उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है। क्योंकि वह मरा हुआ व्यक्ति 13 दिन तक अपने उसी घर में आकर रहता है और उस गरुण पुराण को सुनता है जिससे उसके सारे पाप नस्ट हो जाते हैं. Letsdiskuss


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