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हिन्दू धर्म क़े अनुसार महिलायेअपने पति की लम्बी उम्र क़े लिए और वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति क़े लिए वट सावित्री का व्रत रखती है।साथ ही सुहागन महिलाये वट सावित्री व्रत रखने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या क़े दिन मनाया जाता है।वट सावित्री का व्रत 6जून 2024क़ो है और वट सावित्री क़े व्रत का मुहूर्त रात क़े 9:45से 7जून क़ो 9:22मिनट में मुहूर्त समाप्त हो जायेगा।
वट सावित्री व्रत की पूजा -विधि -
•वट सावित्री क़े दिन सुहागन महिलाओ क़ो सुबह उठकर सबसे पहले स्नान कर लेना चाहिए।
•उसके बाद वट क़े वृक्ष क़े नीचे जाकर सावित्री सत्यापन और यमराज की मूर्ति लाकर स्थापित करे।
•अब वट क़े तने में जल चढ़ाये उसके बाद सावित्री सत्यापन और यमराज की मूर्ति में फूल, फल और मूर्ति क़े सामने दीपक जलाकर मिठाई चढ़ाये उसके बाद पूजा, आरती करते हुए मिठाई या खीर का भोग लगाए।
•उसके बाद वट क़े वृक्ष में कच्चा सूत परिक्रमा करते हुए 7बार वृक्ष में कच्चा सूत लपेटकर परिक्रमा पूरी करके सावित्री सत्यापन और यमराज की स्थापित मूर्ति का पैर छूते हुए अपने पति की लम्बी उम्र की आशीर्वाद ले।
•इसके वाद वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए सुहागन महिलाओ क़ो अपने हाथ में चना लेकर परिक्रमा पूरी करे।
•फिर परिक्रमा पूरी करने क़े बाद आप अपनी सासु माँ क़ो
धान,चना तथा कुछ कपड़े उन्हें देकर पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करे।
•फिर वट वृक्ष की कोपल का सेवन करके वट सावित्री का व्रत तोड़ दे।
•इस तरह से वट सावित्री व्रत की पूजा -विधि सम्पन्न होती है।
वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व -
सनातन धर्म क़े अनुसार वट सावित्री व्रत का बहुत ही विशेष महत्व होता है, वट सावित्री क़े व्रत क़े दिन सुहागन महिलाये बरगद के वृक्ष की पूजा करते है। हिन्दू धर्म क़े अनुसार बरगद के वृक्ष में विष्णु, त्रिदेव ब्रह्मा निवास करते है,जिस वजह से वट सावित्री व्रत क़े दिन सुहागन महिलाये बरगद क़े वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने और सावित्री व्रत की कथा सुनने से सुहागन महिलाओ की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
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