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गुरु नानक देव जी किसी एक विशेष भगवान की भक्ति नहीं करते थे। वे एकेश्वरवादी थे और उनका मानना था कि केवल एक ही ईश्वर है, जिसे वे "वाहेगुरु" या "एक ओंकार" कहते थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में लिखा है कि ईश्वर सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी और सर्वज्ञ है। वे निर्गुण और निराकार हैं, और उनका कोई रूप या रंग नहीं हैे।
गुरु नानक देव जी ने मूर्तिपूजा और कर्मकांडों का विरोध किया। उनका मानना था कि ईश्वर को भक्ति और प्रेम से प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने लोगों को सिखाया कि ईश्वर की भक्ति करने के लिए, हमें सदाचारी जीवन जीना चाहिए, दूसरों की सेवा करनी चाहिए, और लोभ, क्रोध, मोह, ईर्ष्या, और अहंकार जैसे नकारात्मक भावनाओं से दूर रहना चाहिए।
गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की, जो आज दुनिया के प्रमुख धर्मों में से एक है। सिख धर्म का आधार गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं पर है, जो सत्य, प्रेम, और न्याय पर आधारित हैं।
गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं के कुछ प्रमुख बिंदु:
गुरु नानक देव जी का जीवन और शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। वे हमें सिखाते हैं कि कैसे एक अच्छा जीवन जीना है और कैसे ईश्वर को प्राप्त करना है।
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