Physical Education Trainer | Posted on | Astrology
Content Writer | Posted on
मनुष्य के हाथ में- सूर्य-रेखा को ‘रविरेखा’ या ‘तेजस्वी-रेखा’ भी कहा जाता हैं, कारण यह भाग्य-रेखा से होने वाले उज्जवल भविष्य या सौभाग्य को ठीक उसी प्रकार चमका देती हैं जिस प्रकार सूर्य अपने प्रखर प्रकाश से रात्रि के अंधकार को दूर करता है। जिस प्रकार से हिम के ढके हुई पर्वत श्रृंखलाओं को विशेष चमकाता हैं। इससे यह न समझ लेना चाहिये कि सूर्य-रेखा के अभाव में हाथ में पड़ी शुभ भाग्य-रेखा का कोई मूल्य ही नहीं होता या उसका प्रभाव ही मध्यम हो जाता हैं |
इन सात स्थानों से प्रारम्भ होने वाली सूर्य-रेखा हमें समय समय पर हमारी दुर्घटनाओं या हमारे भाग्यसम्बन्धी अनेक अनेक जटिल प्रश्नों को हल करती है।
1. यदि सूर्य-रेखा मणिबन्ध (हमारे हाथ की तीसरी ऊँगली से नीचे की और )या उसके समीप से आरम्भ होकर भाग्य-रेखा के निकट समानान्तर अपने स्थान को जा रही हो तो यह सबसे उत्तम मानी गयी है। ऐसी रेखावाला व्यक्ति स्त्री या पुरूष प्रतिभा ओर भाग्य का मेल होने से, जिस काम को हाथ लगाता या आरंभ करता हैं उसमें पूर्णतः सफल होता है।
2. इसके विपरीत यदि सूर्य-रेखा चन्द्रक्षेत्र से आरम्भ होती हो तो इसमें संदेह नहीं कि उसका भाग्य चमकेगा, पर उसकी यह उन्नति निजी परिश्रम द्वारा न होकर दूसरों की इच्छा ओर सहायता पर अधिक निर्भर करती हैं संभव है, उसे उसके मित्र सहायता करें |
3. जीवन-रेखा से आरम्भ होने वाली स्पष्ट सूर्य-रेखा भविष्य में उन्नति और यश बढाने वाली मानी गयी हैं किन्तु यह उन्नति उसके निजी परिश्रम और योग्यता से ही होती है। एक व्यावसायिक हाथ को छोड़कर शेष सभी हाथों में इसके प्रभाव से मनुष्य अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी कला में पूरी उन्नति कर सकता है।
4. यदि यह रेखा भाग्य-रेखा से आरम्भ होती हो तो भाग्यरेखा के गुणों में वृद्धिकर उसकी शक्ति दूगनी कर देती है, प्रायः देखा गया है कि यह रेखा जिस स्थान से भाग्य-रेखा से ऊपर उठती है वहीं से किसी विशेष उत्कर्ष या उन्नति का आरम्भ होता है। रेखा जितनी ही अधिक स्पष्ट और सुन्दर होगी, उन्नति का क्षेत्र उतना ही विस्तृत और उन्नति भी अधिक होगी।
0 Comment
System Analyst (Wipro) | Posted on
0 Comment