| Posted on
चलिए अब आज हम आपको इस पैराग्राफ के माध्यम से बताते हैं कि भारत का सबसे पहले सिनेमा घर कौन सा था। भारत में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसने कभी कोई फिल्म न देखी हो। क्योंकि भारतीयों के जीवन में फिल्मों का अहम स्थान है शनिवार या रविवार की छुट्टी हो या फिर कोई भी नहीं फिल्म रिलीज हुई हो भारतीय फिल्म देखने का समय निकाल ही लेते हैं। मौजूदा समय में बेशक मोबाइलों पर ही नई फिल्मों को देखा जा सकता है लेकिन आज भी लोगों में सिनेमाघर में पहुंच फिल्में देखने को क्रेज बाकी है। हर साल 13 अक्टूबर को राष्ट्रीय सिनेमा दिवस का आयोजन किया जाता है।
भारत के आर्थिक विकास के पहिए को रफ्तार देने के लिए फिल्म उद्योग का भी अहम योगदान है। महाराष्ट्र के मुंबई को फिल्मों की नगरी भी कहा जाता है। दादा साहेब फाल्के को भारतीय फ़िल्म उद्योग का पिता भी कहा जाता है, जिनके नाम पर मुंबई में फिल्म सिटी भी है।
किसी भी फिल्म के बनने के बाद उसकी रिलीज हुई सिनेमाघर का आई एम योगदान होता है हालांकि तेजी से बदलते वक्त के समय फिल्मों को रिलीज करने का तरीका भी बदला है और अब सिनेमा घर की जगह लोगों के मोबाइल ले ली है। हर साल 13 अक्टूबर को राष्ट्रीय सिनेमा दिवस का आयोजन किया जाता है।
तो चलिए अब हम आपको बताते हैं कि कौन सा है भारत का पहला सिनेमा -
भारत में वर्तमान में 12000 से अधिक सिनेमाघर है जो कि देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद हैं। ऐसे में इनमें से एक सिनेमा घर ऐसा भी था जो कि भारत का पहला सिनेमा घर था। आपको बता दे कि पश्चिम बंगाल राज्य के कोलकाता शहर में चैपलिन सिनेमा भारत का सबसे पुराना और पहले सिनेमा घर था।
अब बात करें इसके निर्माण की तो साल 1907 में जमशेदजी राम जी मदन द्वारा इस सिनेमा हॉल की ने रखी गई थी। उन्होंने इस सिनेमा हॉल का निर्माण करवाया था इस सिनेमाघर एक सिंगल स्क्रीन सिनेमा घर हुआ करता था जो की 5 /1 चरंगनी प्लेस में स्थित है।
0 Comment