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धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक कामधेनु गाय क़े शारीरिक अंगों मे 33 करोड़ देवी-देवता वास करते है।इसलिए जिस भी व्यक्ति क़े कामधेनु गाय के दर्शन होने से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है,कामधेनु गाय को सुरभि या निर्मलताभी माना जाता है। वही कामधेनु गाय क़ो कई अलग -अलग नामों से जाना जाता है, कामधेनु गाय क़ो इच्छापूर्ति मनोकामना पूरा करने क़े लिए जानी जाती है। कामधेनु गाय सभी लोगो की इच्छा से मांगी हुयी मनोकामना क़ो पूर्ण करती है।
कामधेनु गाय एक सफेद रंग की गाय होती थी, कामधेनु गाय क़े अंदर कई देवी-देवताओ का निवास होता है। कामधेनु गाय को बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है,क्योंकि कामधेनु गाय सिर्फ लोगो क़ो मनोकामना क़ो पूरा नहीं करती है,बल्कि समुद्र मंथन से निकली हुयी कामधेनु गाय बहुत से चमत्कार भी करती है। यदि कोई व्यक्ति कामधेनुगाय से जल,अन्न, कपड़े,सोना, हीरा, चांदी आदि चीजे मंगता है तो वह उस व्यक्ति की मनोकामना अवश्य पूरी करती है, इसके अलावा अन्य मनोकामनाये भी पूरी करती है।
पौराणिक मान्यता क़े अनुसार कामधेनु गाय ऋषि वशिष्ठ क़े पास थी। तभी ऋषि वशिष्ठ अपनी जरूर क़े अनुसार कामधेनु गाय के सामने अपनी मनोकामना जाग्रति किये और उनकी मनोकामना पूरी भी हुई। तभी राजा विश्वामित्र जंगल में अपनी सेना के साथ घूम रहे थे,तो वह मनोकामना पूरी करने वाली कामधेनु गाय को देखा। कामधेनु गाय को पाने की चाहत विश्वामित्र के मन में हुयी।
तभी राजा विश्वामित्र ने ऋषि वशिष्ठ से बोले मुझे कामधेनु गाय दे दो,लेकिन ऋषि वशिष्ठ ने कामधेनु गाय क़ो देने से इनकार कर दिया । इस कारण से विश्वामित्र को गुस्सा आया तो विश्वामित्र और ऋषि वशिष्ठक़े बीच कामधेनु गाय क़ो लेकर लड़ाई छिड गयी, दोनों की लड़ाई देखकर कामधेनु गाय बहुत ही ज्यादा भावुक हो गयी। इसी दौरान गुस्से मे आकर कामधेनु गाय हमेशा क़े लिए स्वर्ण मे जाकर रखने लगी और फिर स्वर्ग से कभी वापस नहीं आयी, उनका निवास स्थान स्वर्ग ही बन गया।
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हिंदी शास्त्रों में गाय को रोजाना रोटी खिलाना भी बहुत पुण्य का काम माना गया है।वही गाय को माता कहकर संबोधित किया जाता है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कामधेनु गाय बहुत दिव्य मानी जाती है। आपने कई लोगों को कामधेनु गाय की मूर्ति है तस्वीर घर में रखते देखा होगा ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक कामधेनु गाय के शरीर अंगों में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास है।
हिंदू धर्म के अनुसार गाय को केवल एक जानवर के रूप में ही नहीं बल्कि माता के रूप में देखा जाता है। गाय देवी देवताओं के समान ही पूजनीय है दिव्या मानी जाने वाली कामधेनु गाय को कई देवी देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। कामधेनु एक सफेद रंग की गए हैं कुछ मान्यताओं के अनुसार कामधेनु गाय का मुख्य एक महिला के समान था और बाकी शरीर गाय का है देवताओं और दानवो के बीच हुए समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले थे जिसमें से कामधेनु गाय भी थी।
दिव्या का कामधेनु गाय व्यक्ति की किसी भी इच्छा की पूर्ति कर सकती है। स्वर्ग कामधेनु गाय का निवास स्थान है जिसके पास भी कामधेनु गाय होती है वह सबसे शक्तिशाली व्यक्ति कहलाता था। साथ ही यह भी माना जाता है कि कामधेनु गाय के दर्शन मात्र से सभी कष्टों का निवारण होता है। कई मंदिरों में कामधेनु की मूर्तियां स्थापित है भक्ति उनकी पूजा करके अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं कुछ स्थानों पर कामधेनु यज्ञ भी किए जाते हैं जिनमें गाय की पूजा की जाती है और उसकी सेवा का संकल्प लिया जाता है।
कामधेनु की सहायता से परोसे कई व्यंजन:-
एक पौराणिक कथा के अनुसार सबसे पहले कामधेनु गाय ऋषि वरिष्ठ के आश्रम में अतिथि बनकर आए। उन्होंने कामधेनु गाय की सहायता से राजा को उनका अनेकों प्रकार के व्यंजनों से उसका सत्कार किया। यह देखकर राजा दंग रह गए की ऋषि जिस प्रकार के व्यंजन उन्हें मिला रहे हैं ऐसे में महलों में भी नहीं मिलते तब ऋषि ने उन्हें दिव्या कामधेनु गाय के बारे में बताया।
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कामधेनु गाय: भारतीय संस्कृति में एक अद्भुत और पवित्र प्राणी
भारतीय संस्कृति और पौराणिक कथाओं में कामधेनु गाय का विशेष स्थान है। यह एक ऐसी दिव्य गाय मानी जाती है जो सभी मनोकामनाओं को पूरा करने की क्षमता रखती है। कामधेनु को "सुरभि" या "नंदिनी" के नाम से भी जाना जाता है। आइए इस अद्भुत प्राणी के बारे में विस्तार से जानें।
कामधेनु का अर्थ और महत्व:
"कामधेनु" शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है, जिसमें "काम" का अर्थ है "इच्छा" और "धेनु" का अर्थ है "गाय"। इस प्रकार, कामधेनु का शाब्दिक अर्थ होता है "इच्छा पूर्ति करने वाली गाय"। यह एक ऐसी दिव्य गाय मानी जाती है जो अपने भक्तों की हर इच्छा को पूरा कर सकती है।
भारतीय संस्कृति में गाय को माता के समान पूजनीय माना जाता है। कामधेनु इस श्रद्धा का सर्वोच्च रूप है। वह न केवल दूध देती है, बल्कि अपने भक्तों की हर आवश्यकता की पूर्ति करती है। वह धन, ज्ञान, शक्ति, संतान, आयु, यश और मोक्ष तक प्रदान कर सकती है।
कामधेनु की उत्पत्ति:
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कामधेनु की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। जब देवताओं और असुरों ने मिलकर क्षीर सागर का मंथन किया, तो उसमें से चौदह रत्न निकले। इन्हीं रत्नों में से एक थी कामधेनु।
एक अन्य कथा के अनुसार, कामधेनु ब्रह्मा जी की सृष्टि है। उन्होंने सृष्टि के कल्याण के लिए इस दिव्य गाय को बनाया। कुछ पुराणों में कामधेनु को वसिष्ठ ऋषि की गाय भी बताया गया है।
कामधेनु की विशेषताएं:
कामधेनु से जुड़ी प्रमुख कथाएं:
कामधेनु का वर्तमान महत्व:
आज भी भारतीय संस्कृति में कामधेनु का विशेष महत्व है। गाय को माता के रूप में पूजा जाता है और उसकी सेवा को पुण्य का कार्य माना जाता है। कई लोग मानते हैं कि गाय की सेवा से कामधेनु की कृपा प्राप्त होती है।
कई मंदिरों में कामधेनु की मूर्तियां स्थापित हैं। भक्त उनकी पूजा करके अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। कुछ स्थानों पर कामधेनु यज्ञ भी किए जाते हैं, जिनमें गाय की पूजा की जाती है और उसकी सेवा का संकल्प लिया जाता है।
कामधेनु का वैज्ञानिक महत्व:
यद्यपि कामधेनु एक पौराणिक प्राणी है, लेकिन गाय के महत्व को वैज्ञानिक दृष्टि से भी समझा जा सकता है:
निष्कर्ष:
कामधेनु गाय भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। वह केवल एक पौराणिक प्राणी नहीं, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती है। वह धन, ज्ञान, शक्ति, आयु, यश और मोक्ष जैसी सभी मनोकामनाओं को पूरा करने का प्रतीक है।
आज के समय में जब हम भौतिक संपदा के पीछे भाग रहे हैं, कामधेनु हमें याद दिलाती है कि सच्चा संतोष और सुख आंतरिक शांति में है। वह हमें सिखाती है कि प्रकृति और पशुओं के प्रति करुणा और सम्मान रखना चाहिए।
कामधेनु की कथाएं हमें नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिकता का महत्व समझाती हैं। वे हमें बताती हैं कि लालच और अहंकार विनाश की ओर ले जाते हैं, जबकि त्याग और सेवा भाव उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
अंत में, कामधेनु हमें याद दिलाती है कि हमारे पास पहले से ही वह सब कुछ है जो हमें चाहिए। हमें बस अपने भीतर झांकना है और अपनी अंतर्निहित शक्तियों को पहचानना है। यही कामधेनु का सच्चा संदेश है - हर व्यक्ति के भीतर असीमित क्षमता है, बस उसे जगाने और विकसित करने की आवश्यकता है।
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