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sahil sharma

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भारत में लगातार तीन बार प्रधानमंत्री कौन बना है?


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प्रस्तावना

भारत की राजनीतिक इतिहास में कुछ क्षण ऐसे होते हैं जो न केवल समय के साथ महत्वपूर्ण बन जाते हैं, बल्कि देश के भविष्य की दिशा भी निर्धारित करते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण क्षण है लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बनने का रिकॉर्ड। इस लेख में हम उन नेताओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे जिन्होंने इस उपलब्धि को हासिल किया है, विशेष रूप से नरेंद्र मोदी पर, जिन्होंने 2024 में तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।

 

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नरेंद्र मोदी: तीसरी बार प्रधानमंत्री

नरेंद्र मोदी ने 9 जून 2024 को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, जिससे वह इस पद पर लगातार तीन बार आसीन होने वाले दूसरे नेता बन गए हैं। उनका कार्यकाल भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है। मोदी का नेतृत्व न केवल भाजपा के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक नई दिशा प्रदान करता है। उनके प्रशासन के दौरान कई महत्वपूर्ण योजनाएं और नीतियां लागू की गईं, जैसे "मेक इन इंडिया," "स्वच्छ भारत," और "आत्मनिर्भर भारत," जो आर्थिक विकास और सामाजिक सुधारों के लिए महत्वपूर्ण थीं।

 

पंडित जवाहरलाल नेहरू का योगदान

पंडित जवाहरलाल नेहरू पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने 1952, 1957 और 1962 में लगातार तीन बार यह पद संभाला। उनके कार्यकाल ने भारतीय राजनीति की नींव रखी। नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी के साथ मिलकर काम किया और स्वतंत्रता के बाद देश को एक स्थिरता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।उनकी नीतियों में औद्योगिकीकरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना, और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार शामिल थे। नेहरू का दृष्टिकोण आधुनिक भारत के निर्माण की दिशा में था, और उन्होंने देश को एक मजबूत लोकतांत्रिक आधार प्रदान किया।

 

इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी का संदर्भ

इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी भी ऐसे नेता हैं जिन्होंने तीन बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, हालांकि उनके कार्यकाल अलग-अलग थे। इंदिरा गांधी ने 1966, 1980 और 1984 में प्रधानमंत्री पद संभाला। उनके नेतृत्व में भारत ने कई महत्वपूर्ण घटनाओं का सामना किया, जैसे कि बांग्लादेश युद्ध और आपातकाल।अटल बिहारी वाजपेयी ने 1996, 1998 और 1999 में यह पद ग्रहण किया। उनकी सरकार ने आर्थिक सुधारों को लागू किया और भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी। इन नेताओं के कार्यकालों ने भारतीय राजनीति को गहराई से प्रभावित किया और उनके निर्णयों का प्रभाव आज भी महसूस किया जाता है।

 

मोदी का राजनीतिक सफर

नरेंद्र मोदी का सफर चाय की दुकान से शुरू होकर पीएम की कुर्सी तक पहुंचा। उनका राजनीतिक करियर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से शुरू हुआ, जहां उन्होंने संगठनात्मक कौशल विकसित किए। 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्होंने राज्य में विकास के कई मॉडल पेश किए, जैसे कि "गुजरात मॉडल," जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।मोदी की नेतृत्व शैली में निर्णय लेने की क्षमता, तेज गति से काम करने की प्रवृत्ति, और जनहितकारी योजनाओं का कार्यान्वयन शामिल है। उनकी सरकार ने डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों को लागू किया, जिससे सरकारी सेवाओं को अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाया गया।

 

चुनावी जीत और समर्थन

मोदी की तीसरी बार जीत के पीछे एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के मजबूत प्रदर्शन और भाजपा के समर्थन का बड़ा हाथ है। 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 293 सीटें जीतीं, जो उनकी लोकप्रियता और जनसमर्थन को दर्शाती हैं।चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने विकास, सुरक्षा, रोजगार सृजन, और सामाजिक कल्याण जैसे मुद्दों पर जोर दिया। उनकी चुनावी रैलियों में भारी भीड़ जुटी, जो दर्शाती है कि लोगों का विश्वास उनके नेतृत्व पर कितना गहरा है।

 

भारतीय राजनीति में यह उपलब्धि क्या दर्शाती है?

यह उपलब्धि न केवल मोदी की लोकप्रियता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भारतीय मतदाता स्थिरता और निरंतरता को प्राथमिकता देते हैं। चुनाव परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया कि लोग एक स्थायी नेतृत्व चाहते हैं जो देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हो।इस प्रकार की राजनीतिक स्थिरता से न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है बल्कि यह विदेशी निवेशकों का विश्वास भी जगाता है। इससे भारत वैश्विक मंच पर एक प्रमुख शक्ति बन सकता है।

 

निष्कर्ष

नरेंद्र मोदी का लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बनना एक ऐतिहासिक घटना है, जो भारतीय राजनीति में नए अध्याय की शुरुआत करता है। यह न केवल उनके लिए, बल्कि देश के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस उपलब्धि से यह संकेत मिलता है कि भारतीय जनता अपने नेता पर विश्वास करती है और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर देती है।अब देखना यह होगा कि मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में किन नई चुनौतियों का सामना करेंगे और देश को किस दिशा में ले जाएंगे। क्या वे अपनी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू कर पाएंगे? क्या वे समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलेंगे? ये सवाल आने वाले समय में भारतीय राजनीति की दिशा तय करेंगे।

 


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