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एडिशनल मजिस्ट्रेट एफ.बी.पूल की अदालत में ट्रायल की शुरुआत 7 मई 1929 को हुई। तथा भगतसिंह द्वारा ट्रायल पर 8मई 1929 क़ो उन्होंने बम फेका, जिस वजह से उनके खिलाफ अंग्रेजो ने केश किया। और भगतसिंह क़ो जेल हो गई, तथा कोर्ट मे भगतसिंह के पक्ष मे उनके चाचा अजीत सिंह, उनकी पत्नी अरुणा तथा उनकी बचाव के लिए वकील आसफ अली थे जो भगतसिंह के पक्ष मे मुकदमा लड़ रहे थे, तथा भगतसिंह क़ो फाँसी दिलवाने के लिए अंग्रेजो की तरफ़ से पैरवी करने वाले वकील बहादुर सूरज नारायण थे।
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