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वैसे तो हमारे वेदों और पुराणों में कई ऐसी कहानियां और बातें है जिनके बारें में हम लोग नहीं जानते है ऐसे में आपका सवाल बहुत अच्छा है क्योंकि आज भी यह बात कई लोगों को नहीं पता की आखिर कार क्यों ऋषि अगस्त्य को अपनी ही बेटी से शादी करनी पड़ी थी, देवाताओं की रक्षा के लिए सातों समुद्र पीने वाले परम शिव भक्त ऋषि अगस्तय ने अपनी ही बेटी से शादी की। आखिर ऐसा क्या हुआ था जो उन्हें ये कार्य करना पड़ा।
इस बात के पीछे ऐसा कहा जाता है की एक दिन अगस्तय ने अपने तपोबल से एक सर्वगुण संपन्न नवजात कन्या का निर्माण किया, जब उन्हें पता चला की विदर्भ का राजा संतान के लिए तप कर रहा है तो उन्होंने उस बच्ची को उसे गोद दे दिया। जब जवान हुई वो ही कन्या तो राजा से उन्होंने उसका हाथ मांग लिया और राजा इंकार न कर सके।
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तब अगस्त्य ऋषि ने अपनी उस पत्नी(जो उनकी बेटी ही थी) से दो संताने भी पैदा की। एक भृंगी ऋषि हुए जो शिव के परम भक्त थे और दूसरे का नाम था अचुता। तब धरती के मनुष्य आत्मा को देखते थे न कि रिश्तों की मयार्दा को।
जब देवासुर संग्राम जारी था तो दानव हरने के बाद समुन्द्र के तलों में छुप गए, तब शिव की आज्ञा पर अगस्त्य ऋषि ने सातों समुन्द्रों का जल पी लिया और सभी राक्षसों का संहार हुआ।
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क्या आपने कभी देखा या सुना है कि एक ऋषि ऐसे भी थे जिन्होंने अपनी बेटी से शादी की है । शायद यह बात आपको बहुत हैरान कर सकती है कि कैसे कोई ऋषि अपनी बेटी से शादी कर सकता है ।
आपको बता दें कि यह बात इतिहास से जुड़ी हुई है । ऋषि अगस्त्य ने जब सतयुग में सभी देवताओं की जान खतरे में थी,तब सात समुद्र का पानी पीने वाले अगस्त्य ऋषि ने अपनी ही बेटी से शादी कर ली थी। लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों किया इसके बारे में कोई नही जानता आइए आज हम इसके बारे में बताते है ।
आपको बता दें जब ऋषि अगस्त्य ने अपने तपोबल से सभी गुणों से संपन्न एक नवजात लड़की का निर्माण किया। लेकिन तभी इनको पता चला कि विदर्भ में एक राजा अपनी संतान प्राप्ति के लिए तप कर रहा है। तभी उन्होंने उस विदर्भ के राजा को अपने इस नवजात और सर्वगुण संपन्न पुत्री को गोद दे दिया था।
इसके बाद जब इनकी पुत्री जवान हुई तो अगस्त्य ऋषि ने विदर्भ के राजा से उस कन्या का हाथ मांग लिया। तब राजा ने भी बिना कुछ कहे और ज्यादा विचार विमर्श किए ऋषि अगस्त्य को उन्हीं की पुत्री का हाथ दे दिया। क्योंकि वह भी जानते थे, अगर वे ऐसा करने से इंकार कर देते तो ऋषि अगस्त्य उनको अपने खतरनाक शाप से भस्म कर देते। इसीलिए राजा ने ऋषि अगस्त्य से इनकार नहीं किया तब ऋषि अगस्त्य ने अपनी ही पुत्री से शादी कर ली। और उनके साथ यौन संबंध बनाने शुरू कर दिए।
उनकी पुत्री ने भी उनके साथ अपनी इच्छा से यौन संबंध बनाए। लेकिन उनकी पुत्री ने उनके सामने एक शर्त रखी थी, कि उनको एक विशेष प्रकार की जगह पर ही यौन संबंध बनाने हैं, तो फिर ऋषि अगस्त्य ने उनकी उस शर्त को भी पूरा किया था और उनके साथ संबंध बनाए ।
यह सब हो जाने के बाद इन दोनों को दो संतानों की प्राप्ति हुई। अगर बात करें ऋषि अगस्त्य की शादी की तो उस समय मनुष्य आत्मा को देखते थे, ना कि रिश्ते की मर्यादा को।
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क्यों ऋषि अगस्तस को अपनी ही पुत्री से शादी करनी पड़ी थी यह बात सोचने में थोड़ी अजीब लग रही है ना कि कैसे कोई ऋषि अपनी बेटी से शादी कर सकता है लेकिन यह बात बिल्कुल सत्य है चलिए हम आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं। 1 दिन अगस्त्य ने अपने तपोबल से सर्वगुण संपन्न एक नवजात कन्या का निर्माण किया जिसका नाम था लोपामुद्रा लेकिन जब उन्हें पता चला कि विदर्भ का राजा संतान की प्राप्ति के लिए तब कर रहे हैं और उन्होंने अपनी बेटी को उसे गोद पर दे दिया और जब उनकी बेटी जवान हुई तो उसी कन्या से अगस्तय से ने राजा से हाथ मांग लिया और राजा इंकार नहीं कर पाए।
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दोस्तों आपने सुना ही होगा कि ऋषि अगस्त्य ने अपनी ही बेटी से शादी की तो आज पोस्ट में हम आपको यही बताएंगे कि क्यों ऋषि अगस्त को अपनी ही बेटी से शादी करनी पड़ी थी। भगवान शिव के भक्त ऋषि अगस्त्य ने सभी देवताओं की जान बचाने के लिए अपनी ही बेटी से शादी करनी पड़ी थी। फिर शादी के बाद अपनी ही बेटी से दो संताने प्राप्त की।
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