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जब बच्चे पैदा होते हैं तो लोगों के जीवन में खुशहाली का क्षण आता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं नवजात शिशु जन्म लेते ही क्यों रोने लगते हैं, और लगातार क्यों रोते रहते हैं ।इसका एक खास कारण है अगर आप नहीं जानते तो चलिए आज हम आपको बताते हैं। बच्चे जब माँ के गर्भ से निकलकर पहली बार बाहर की दुनिया देखते हैं तो रोना शुरू कर देते हैं। उस समय जब बच्चे रोते हैं तो उनकी रोने की आवाज ऐसी होती है कि जैसे वह पूछ रहा हो कहां-कहां। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि धरती पर आने के बाद उसे लगता है कि वह कहां आ गया। और कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि जब बच्चे पैदा होते हैं, तो वो पहले से अनुभव न किए जाने वाले वातावरण में प्रवेश करते हैं। इसके साथ ही, उनके शरीर के सिस्टम को सक्रिय करने के लिए ऑक्सीजन, पोषक तत्व का तापमान की आवश्यकता होती हैं। रोना इस आवश्यकता को प्रकट करने का एक तरीका होता है। बच्चे इस नए वातावरण में जाकर नए अनुभव करने लगते हैं। और इस वक्त करने का सबसे साधारण तरीका रोना होता है। अगर आप ध्यान से देखेंगे तो, बच्चे रोते हुए अपनी आवश्यकताओं को जाहिर करने के साथ-साथ अन्य वातावरणीय प्रक्रियाओं को दिखाते हैं। जैसे की ठंड, गर्मी, खुशी, दुख, भूख, थकान, असंतुलन, डर अचानक बदलते ध्यान आदि, नवजात बच्चों का ध्यान समय-समय पर संकुचित होता है और वह रोने लगते हैं। बच्चे भूख की वजह से भी रोते हैं। और दूध पीने पर चुप हो जाते हैं। वही यह भी माना जाता है कि नवजात शिशु का रोना जरूरी होता है।नवजात बच्चे का दिन में 2 से 3 घंटे रोना जरूरी होता है। कई जगह पर बच्चों के रोने को शुभ माना जाता है। क्योंकि बच्चे का रोना उनके जीवित और स्वस्थ होने का संकेत देता है। यदि बच्चा जन्म के बाद तेजी से रोता है तो इसका मतलब होता है कि वह स्वस्थ होता है। वही बच्चा अगर धीमी आवाज में रोता है तो इसका मतलब होता है कि वह स्वस्थ नहीं है।
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