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fitness trainer at Gold Gym | Posted on
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हमारे कान सिर्फ सुनने का काम ही नहीं करते हैं बल्कि शरीर को संतुलित करना भी इनका महत्वपूर्ण काम होता है।
हमारे कान का बाहरी हिस्सा आवाज को कान के आतंरिक अंगों तक पहुँचाता है और आंतरिक हिस्सा आवाज को विद्युत सिग्नल में बदलकर दिमाग तक भेजता है।
आतंरिक कान की संरचना टेढ़ी मेढ़ी होती है जिसमें अनियमित आकार की नलिकाएं होती हैं। इन नलिकाओं में लिक्विड भरा रहता है। ये द्रव हमारे शरीर का संतुलन बनाये रखने में अहम भूमिका निभाता है।
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@letsuser | Posted on
हमारे कान सिर्फ सुनने का काम ही नहीं करते हैं बल्कि शरीर को संतुलित करना भी इनका महत्वपूर्ण काम होता है।
हमारे कान का बाहरी हिस्सा आवाज को कान के आतंरिक अंगों तक पहुँचाता है और आंतरिक हिस्सा आवाज को विद्युत सिग्नल में बदलकर दिमाग तक भेजता है।
आतंरिक कान की संरचना टेढ़ी मेढ़ी होती है जिसमें अनियमित आकार की नलिकाएं होती हैं। इन नलिकाओं में लिक्विड भरा रहता है। ये द्रव हमारे शरीर का संतुलन बनाये रखने में अहम भूमिका निभाता है।
आइये, अब जानते हैं गोल घूमने पर सिर चकराने और कान के बीच के सम्बन्ध को- जब हम गोल गोल घूमते हैं तो हमारे कानों में मौजूद द्रव भी घूमने लगता है और ये द्रव ही हमारे दिमाग को नियंत्रित करता है।
गोल घूमने के बाद अचानक जब हम रुक जाते हैं तब ये द्रव कुछ देर तक घूमता रहता है जिसके कारण हमारा सिर चकराने लगता है और जब थोड़ी देर बाद ये द्रव घूमना बंद हो जाता है तब हम सामान्य स्थिति में आ जाते हैं।
उम्मीद है जागरूक पर गोल घूमने के बाद सर क्यों चकराने लगता है कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।
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@letsuser | Posted on
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Occupation | Posted on
यहां पर बहुत ही सोच विचार करने वाला प्रश्न पूछा गया है कि आखिर गोल घूमने के बाद सर क्यों चकराने लगता है ? तो चलिए हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताते है कि जब हम गोल गोल घूमते हैं तो हमारे कानों में उपस्थित संवेदनशील द्रव्य जो होता है वह भी घूमने लगता है, इस तरह का द्रव्य ही हमारे मस्तिक को नियंत्रित करता है और जब हम गोल गोल घूमना बंद कर देते हैं तो यह द्रव्य कुछ देर तक घूमता रहता है।
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