गोल घूमने के बाद सर क्यों चकराने लगता है ? - letsdiskuss
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सृष्टि वर्मा

Fashion Designer... | Posted on | Health-beauty


गोल घूमने के बाद सर क्यों चकराने लगता है ?


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fitness trainer at Gold Gym | Posted on


बच्चें हो या बड़े गोल गोल घूमने में मज़ा तो बहुत आता हैं मगर जब हम रुकते हैं तो सर चकराने लगता हैं | आपको जान कर हैरानी होगी के सिर घूमने का सम्बन्ध हमारे कान से होता है इसलिए पहले कान के बारे में थोड़ी बात करते हैं।
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हमारे कान का बाहरी हिस्सा आवाज को कान के आतंरिक अंगों तक पहुँचाता है और आंतरिक हिस्सा आवाज को विद्युत सिग्नल में बदलकर दिमाग तक भेजता है। इसलिए घूमने के बाद सर चकराने के बाद सर से ज्यादा कान काम करते हैं |


वैसे भी कान की संरचना टेढ़ी मेढ़ी होती है जिसमें अनियमित आकार की नलिकाएं होती हैं। इन नलिकाओं में लिक्विड भरा रहता है। ये द्रव हमारे शरीर का संतुलन बनाये रखने में अहम भूमिका निभाता है।


जब हम गोल गोल घूमते हैं तो हमारे कानों में मौजूद द्रव भी घूमने लगता है और ये द्रव ही हमारे दिमाग को नियंत्रित करता है। गोल घूमने के बाद अचानक जब हम रुक जाते हैं तब ये द्रव कुछ देर तक घूमता रहता है जिसके कारण हमारा सिर चकराने लगता है और जब थोड़ी देर बाद ये द्रव घूमना बंद हो जाता है तब हम सामान्य स्थिति में आ जाते हैं।



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blogger | Posted on


आपको ये जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन सिर घूमने का सम्बन्ध हमारे कान से होता है इसलिए पहले कान के बारे में थोड़ी बात करते हैं।

हमारे कान सिर्फ सुनने का काम ही नहीं करते हैं बल्कि शरीर को संतुलित करना भी इनका महत्वपूर्ण काम होता है।

हमारे कान का बाहरी हिस्सा आवाज को कान के आतंरिक अंगों तक पहुँचाता है और आंतरिक हिस्सा आवाज को विद्युत सिग्नल में बदलकर दिमाग तक भेजता है।

आतंरिक कान की संरचना टेढ़ी मेढ़ी होती है जिसमें अनियमित आकार की नलिकाएं होती हैं। इन नलिकाओं में लिक्विड भरा रहता है। ये द्रव हमारे शरीर का संतुलन बनाये रखने में अहम भूमिका निभाता है।



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@letsuser | Posted on


आपको ये जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन सिर घूमने का सम्बन्ध हमारे कान से होता है इसलिए पहले कान के बारे में थोड़ी बात करते हैं।

हमारे कान सिर्फ सुनने का काम ही नहीं करते हैं बल्कि शरीर को संतुलित करना भी इनका महत्वपूर्ण काम होता है।

हमारे कान का बाहरी हिस्सा आवाज को कान के आतंरिक अंगों तक पहुँचाता है और आंतरिक हिस्सा आवाज को विद्युत सिग्नल में बदलकर दिमाग तक भेजता है।

आतंरिक कान की संरचना टेढ़ी मेढ़ी होती है जिसमें अनियमित आकार की नलिकाएं होती हैं। इन नलिकाओं में लिक्विड भरा रहता है। ये द्रव हमारे शरीर का संतुलन बनाये रखने में अहम भूमिका निभाता है।

आइये, अब जानते हैं गोल घूमने पर सिर चकराने और कान के बीच के सम्बन्ध को- जब हम गोल गोल घूमते हैं तो हमारे कानों में मौजूद द्रव भी घूमने लगता है और ये द्रव ही हमारे दिमाग को नियंत्रित करता है।

गोल घूमने के बाद अचानक जब हम रुक जाते हैं तब ये द्रव कुछ देर तक घूमता रहता है जिसके कारण हमारा सिर चकराने लगता है और जब थोड़ी देर बाद ये द्रव घूमना बंद हो जाता है तब हम सामान्य स्थिति में आ जाते हैं।

उम्मीद है जागरूक पर गोल घूमने के बाद सर क्यों चकराने लगता है कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।



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@letsuser | Posted on


दरआसल जब हम गोल गोल घूमते हैं तो हमारे कानों में उपस्थित संवेदनशील द्रव्य भी घूमने लगता है और यह द्रव्‍य ही हमारे मस्तिक को नियंत्रित करता है और जब हम घूमना बंद कर देते हैं तो यह द्रव्‍य कुछ देर तक घूमता रहता है यही कारण्‍ा है कि गोल घूमने के बाद हमारा सर क्यों चकराने लगता है


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Occupation | Posted on


यहां पर बहुत ही सोच विचार करने वाला प्रश्न पूछा गया है कि आखिर गोल घूमने के बाद सर क्यों चकराने लगता है ? तो चलिए हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताते है कि जब हम गोल गोल घूमते हैं तो हमारे कानों में उपस्थित संवेदनशील द्रव्य जो होता है वह भी घूमने लगता है, इस तरह का द्रव्‍य ही हमारे मस्तिक को नियंत्रित करता है और जब हम गोल गोल घूमना बंद कर देते हैं तो यह द्रव्‍य कुछ देर तक घूमता रहता है।

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