तुलसी की पत्तियों को चबाने से मना क्यों किया जाता है? क्या इसके पीछे का कोई वैज्ञानिक कारण है? - letsdiskuss
Official Letsdiskuss Logo
Official Letsdiskuss Logo

Krishna Patel

Krishna Patel

| Posted on | Health-beauty


तुलसी की पत्तियों को चबाने से मना क्यों किया जाता है? क्या इसके पीछे का कोई वैज्ञानिक कारण है?


24
0




Occupation | Posted on


तुलसीको हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र पौधा माना गया है। तुलसी एक महत्वपूर्ण औषधि पौधा है जो कई तरह के रोगों को ठीक करने के लिए तुलसी के पत्तों का उपयोग किया जाता है। तुलसी के पत्तों को चबाने से मना इसलिए किया गया है इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण यह है कि तुलसी के पत्ते में काफी मात्रा मेंआयरनऔरपारा या मर्करी पाया जाता है। तुलसी के पत्ते को चबाने पर यह तत्व हमारे मुंह में घुल जाते हैं। यह दोनों ही तत्व हमारे दांतों के लिए बहुत ही नुकसानदायक है।Letsdiskuss


12
0

| Posted on


दोस्तों हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का बहुत महत्व है और तुलसी का पौधा लगभग सभी घरों में पाया जाता है। लेकिन तुलसी की पत्तियों को चबाने से क्यों मना किया जाता है क्या इसके पीछे का कोई वैज्ञानिक कारण है। यदि आपको नहीं पता तो चलिए हम आपको बताते हैं। वैज्ञानिक का मानना है कि इसमें बहुत अधिक मात्रा में आर्सेनिक पाया जाता है और अगर इन पत्तियों को दातों से चलाया गया तो इसमें मौजूद क्षार मुंह में उपस्थित तत्वों से मिल जाएगा। जिससे दांतो को सड़न और मसूड़ों में तकलीफ होगी। इसीलिए तुलसी के पत्तों को नहीं चबाना चाहिए।

Letsdiskuss

 

और पढ़े--खरगोश का वैज्ञानिक नाम क्या है?


12
0

| Posted on


हमारे हिंदू धर्म में तुलसी के पेड़ की पूजा की जाती है। तथा इसके पत्तों का सेवन हम औषधियों के लिए करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमेशा डॉक्टर लोग तुलसी के पत्तों को चबाने से मना क्यों करते हैं आइए इसके पीछे का कारण जानते हैं। दरअसल बात यह है कि तुलसी के पत्तों में पारा और आयरन पाया जाता है जो हमारे दांतो के लिए अच्छा नहीं होता क्योंकि जब आप तुलसी के पत्तों को चबाते हैं तो तुलसी में पाया जाने वाला पारा हमारे मुंह में आ जाता है जो हमारे दांतो के लिए अच्छा नहीं होता। जो व्यक्ति तुलसी के पत्तों को चबाता आता है तो उसके दांत खराब हो जाते हैं। इसलिए तुलसी के पत्तों को चबाने से मना किया जाता है।Letsdiskuss


11
0