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Rakesh Singh

Delhi Press | Posted on | Astrology


साल मे नवरात्री दो बार क्यों मनाई जाती है,और नवरात्री पूजन की आसान विधि बताइये ?


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नवरात्री का अर्थ सामान्य शब्दों में माता के नौ दिनों से लगाया जाता है , जहाँ माता की इन नौ दिनों में पूजा आराधना की जाती है । लोग इन दिनों माता दुर्गा की पूजा करते हैं और व्रत करते हैं । ये तो हुई माँ दुर्गा के व्रत और पूजन की बात , मगर क्या कभी किसी ने यह सोचा है कि साल में नवरात्री दो बार क्यों मनाई जाती है । जहाँ हर त्यौहार सिर्फ एक बार मनाया जाता है वहीँ नवरात्री साल में दो बार मनाई जाती है । आइये आज इसका कुछ विशेष कारण जानते हैं ।


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- प्राकर्तिक रूप से :-
अगर प्राकर्तिक रूप से देखा जाए तो नवरात्री 2 बार मानाने का यह कारण माना जाता है कि मौसम परिवर्तन । जैसा कि पहले नवरात्री गर्मियां शुरू होने पर होती हैं, ताकि देवी की आराधना की जाए और गर्मियों के समय में लोग अधिक परेशान न हो और वहीं दूसरी तरफ दूसरी बार नवरात्रे सर्दियां शुरू होने पर मनाया जाता है ताकि सर्दियां सभी के लिए अनुकूल रहे । दोनों ही नवरात्रों में न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी होती है जिसके कारण प्रकर्ति पूरी तरह सभी के अनुकूल बनी रहती है ।


- विज्ञान के रूप से :-
अगर विज्ञान के रूप से यह देखा जाए तो मार्च -अप्रैल महीने के बीच और सितंबर - अक्टूबर महीने के बीच , रात और दिन दोनों ही बराबर होते हैं। अर्थात दोनों समय की लम्बाई बराबर होती है । विज्ञान के आधार पर नवरात्री दो बार मानाने का यही कारण है ।


- पौराणिक मान्यता के रूप से :-
ऐसा कहा जाता है कि नवरात्री पहले सिर्फ गर्मियों के दिनों में ही मनाई जाती थी । परन्तु भगवान राम जब वनवास से अयोध्या लोटे थे तो उन्हें माता दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के चैत्र तक का इंतज़ार नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने माता दुर्गा का भव्य पूजन दोबारा किया जिसके कारण नवरात्री साल में दो बार मनाई जाने लगी ।

नवरात्री पूजन की आसान विधि :-


- नवरात्री के पहले दिन सुबह जल्दी उठे और घर की सफाई करने के बाद स्नान करें । जिस जगह आप कलश की स्थापना करना चाहते हैं उस जगह को गंगाजल से साफ करें और वहां आटे से चौक बनाएं (रंगोली) और उसके ऊपर लकड़ी का पटला रखें ।


- इसके बाद आप लकड़ी के पटले के ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता दुर्गा की प्रतिमा या चित्र जो आप रखा चाहे उसको स्थापित करें ।


- इसके बाद एक तांबे के कलश में शुद्ध जल भरकर उसके ऊपर लाल कपड़े से बंधा हुआ एक नारियल रखें ।


- सबसे पहले कलश का पूजन करें और उसके बाद माता की प्रतिमा पर फूल से जल छिड़कें उन्हें लाल टिका और चावल चढ़ाएं। इसके बाद लाल फूल चढ़ाकर पूजा करें ।


- अब माता की प्रतिमा के आगे घी का दीपक जलाएं और आरती करें ।

यह माता की आसान पूजा विधि है ।



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