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रजिया सुल्तान को क्यों मार दिया गया
परिचय
रजिया सुल्तान, जिसे रज़िया अल-दीन के नाम से भी जाना जाता है, भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण नाम है। वह दिल्ली सल्तनत की पहली और एकमात्र महिला सुल्तान थीं। उनके शासनकाल ने समाज में महिलाओं की स्थिति को चुनौती दी और उनकी मृत्यु ने इतिहास में कई सवाल उठाए। इस लेख में, हम विस्तार से जानेंगे कि रजिया सुल्तान को क्यों मार दिया गया और उनके जीवन और शासनकाल के मुख्य घटनाओं पर चर्चा करेंगे।
रजिया सुल्तान का प्रारंभिक जीवन
रजिया सुल्तान का जन्म 1205 ईस्वी में हुआ था। वह दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश की बेटी थीं। उनके पिता ने उन्हें बचपन से ही शासक बनने के लिए तैयार किया था, जिससे वह युद्ध कला, राजनीति और शासन कला में माहिर हो गईं। रजिया का चरित्र और नेतृत्व कौशल उनके भाइयों से कहीं अधिक था, और यह इल्तुतमिश ने भी समझा।
रजिया का शासनकाल
इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद, उनके बेटे रुकनुद्दीन फिरोज को सुल्तान बनाया गया। हालांकि, रुकनुद्दीन एक कमजोर और अप्रभावी शासक साबित हुए, और जल्द ही रजिया को सत्ता सौंप दी गई। रजिया का शासनकाल 1236 से 1240 तक चला। उन्होंने प्रशासनिक सुधार किए, न्याय व्यवस्था को मजबूत किया, और एक कुशल शासक के रूप में अपनी पहचान बनाई।
पुरुषप्रधान समाज में चुनौतियाँ
रजिया सुल्तान के शासनकाल में सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि वह एक महिला थीं। उस समय का समाज पुरुष प्रधान था और महिलाएं सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए नहीं मानी जाती थीं। उनके शासनकाल के दौरान, उन्हें लगातार उन रईसों और कुलीनों का विरोध झेलना पड़ा जो एक महिला सुल्तान के विचार को स्वीकार नहीं कर सकते थे। उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक सुधार किए, लेकिन उनके इन प्रयासों का विरोध भी हुआ।
याकूत का प्रभाव
रजिया सुल्तान के शासनकाल में याकूत नामक एक व्यक्ति का बड़ा प्रभाव था। याकूत रजिया के दरबार में एक अबीसीनियाई (हब्शी) नौकर था, जिसे रजिया ने अपने नजदीकी सलाहकारों में से एक बना लिया था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि रजिया और याकूत के बीच व्यक्तिगत संबंध थे, जबकि अन्य इसे महज एक राजनीतिक गठबंधन मानते हैं। याकूत के साथ रजिया की नजदीकी ने उनके दुश्मनों को उकसाया, जिन्होंने इसे उनके खिलाफ एक साजिश के रूप में इस्तेमाल किया।
तुर्की अमीरों का विरोध
रजिया सुल्तान के खिलाफ साजिश रचने वालों में तुर्की अमीर (राज्य के उच्च पदाधिकारी) प्रमुख थे। तुर्की अमीरों को एक महिला सुल्तान का शासन स्वीकार्य नहीं था, और वे रजिया को सत्ता से हटाने के लिए अवसर तलाश रहे थे। तुर्की अमीरों ने याकूत के साथ रजिया के संबंधों को लेकर अफवाहें फैलाईं और इसे उनके खिलाफ विद्रोह का आधार बनाया। इस प्रकार, रजिया को कमजोर करने के लिए याकूत की हत्या कर दी गई।
रजिया और मलिक अल्तुनिया का संबंध
रजिया सुल्तान की कहानी का एक और महत्वपूर्ण पहलू मलिक अल्तुनिया के साथ उनका संबंध है। मलिक अल्तुनिया, जो कि बठिंडा का सूबेदार था, रजिया के विरोधियों में से एक था। हालांकि, कुछ समय बाद, रजिया और अल्तुनिया के बीच संबंध स्थापित हुआ, और उन्होंने विवाह कर लिया। अल्तुनिया ने रजिया का समर्थन किया और उन्हें सत्ता में लौटाने का प्रयास किया।
रजिया का पतन
रजिया और अल्तुनिया ने मिलकर रजिया को सत्ता में वापस लाने का प्रयास किया, लेकिन तुर्की अमीरों और रजिया के भाई बहाराम शाह ने उनके खिलाफ साजिश रची। 1240 में, जब रजिया और अल्तुनिया की सेना दिल्ली के पास पहुंची, तो उन्हें पराजित किया गया। रजिया और अल्तुनिया को पकड़ लिया गया और उन्हें मार दिया गया।
रजिया सुल्तान की मृत्यु के कारण
रजिया सुल्तान की मृत्यु के पीछे कई कारण थे। पहला कारण यह था कि वह एक महिला थीं, और उस समय का समाज एक महिला शासक को स्वीकार नहीं कर सकता था। दूसरा कारण याकूत के साथ उनके संबंध थे, जो तुर्की अमीरों के लिए एक बहाना बन गया। तीसरा कारण यह था कि रजिया के अपने परिवार के सदस्य भी उनके खिलाफ थे, विशेष रूप से उनके भाई बहाराम शाह। इन सभी कारणों के मिल जाने से रजिया का पतन हुआ और उनकी हत्या कर दी गई।
रजिया सुल्तान का विरासत
रजिया सुल्तान की मृत्यु के बाद भी उनका नाम इतिहास में अमर है। उन्होंने महिलाओं के लिए एक मिसाल कायम की और साबित किया कि महिलाएं भी शासन कर सकती हैं। उनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनकी कहानी आज भी महिलाओं को प्रेरित करती है कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ें और समाज में अपनी जगह बनाएं।
निष्कर्ष
रजिया सुल्तान का जीवन और उनकी मृत्यु एक प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने न केवल एक महिला शासक के रूप में अपनी पहचान बनाई, बल्कि समाज की परंपराओं और धारणाओं को भी चुनौती दी। उनकी मृत्यु के पीछे कई राजनीतिक और सामाजिक कारण थे, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। उनके साहस और संघर्ष ने उन्हें इतिहास के पन्नों में एक अनमोल स्थान दिलाया है। रजिया सुल्तान की कहानी से यह सीख मिलती है कि कोई भी बाधा कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अगर हौसला और आत्मविश्वास हो तो उसे पार किया जा सकता है।
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