वर्तमान दौर में कोई भी पार्टी को चुनाव जितने के लिए अच्छा सा फंड चाहिए होता है। ये फंड ज्यादातर कॉर्पोरेट और बिजनेसमेन से आता है। हालांकि जो पार्टी सत्ता में न हो उसे इस तरह से चुनावी फंड आसानी से नही मिलता और अगर मिलता भी है तो सत्ता में रहनेवाली पार्टी से कम ही मिलता है। पिछले से कुछ सालो से कांग्रेस सत्ता से दूर रही है और इसी लिए उसकी आर्थिक स्थिती कुछ खराब हो रही है जब की बाकी की सारी पार्टियों को चुनावी फंड कांग्रेस से ज्यादा मिला है।
सौजन्य: गल्फ न्यूज़
हाल ही में कांग्रेस ने एक मास्टरस्ट्रोक के तहज प्रियंका गाँधी को चुनावी मैदान में उतारा है। देखनेवाली बात ये है की क्या प्रियंका गाँधी के राजनीती में आने से पार्टी के आर्थिक हालात में कुछ सुधार होगा?
राजनीती विशेषज्ञों के अनुसार प्रियंका गाँधी के राजनीती में आने से पार्टी के फंड आने में कोई ज्यादा फर्क नहीं पडेगा पर अगर उत्तर प्रदेश में पार्टी सत्ता में आती है तो आनेवाले लोकसभा चुनाव में इस का बड़ा असर दीख सकता है और फिर से एकबार कॉर्पोरेट और बिजनेसमेन पार्टी की और रुख कर के चुनावी फंड में बढ़ौतरी कर सकते है।
यहां पर याद करना जरूरी है की हाल में 95 % फंड भाजपा को जाता है और बाकी की सारी पार्टियों को सिर्फ 5 % ही फंड मिलता है और सारी पार्टियां फंड की कमी से जूझ रही है।