आज आपको ब्रह्मचारिणी की पूजन विधि के बारें में बताते हैं। नवरात्रों का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी का है । माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना जीवन में सुख शांति देने वाली है। देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन में तप, त्याग, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। ब्रह्मचारिणी की पूजा से उनकी कृपा बनी रहती तथा जीवन की कई सारी समस्याओं का निदान हो जाता है । ब्रह्मचारिणी का रूप पूरी तरह ज्योर्तिमय है। नवरात्रों के दूसरे दिन शक्ति देवी ब्रह्मचारिणी की आरधना की जाती है । ब्रह्मचारिणी का अर्थ समझा जाए तो ब्रह्म का अर्थ तपस्या और चारिणी का अर्थ तप का आचरण करना होता है । दोनों के मिलान से जो शब्द बनता है वह मां ब्रह्मचारिणी है । ब्रह्मचारिणी को साक्षात ब्रह्म का रूप माना जाता है। माँ ब्रह्मचारिणी का श्रृंगार नारंगी रंग से करना चाहिए और भक्तों को उस दिन हरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है ।
पूजा विधि :-
ब्रह्मचारिणी का पूजन बहुत ही आसान है । रोज की तरह सबसे पहले स्नान करें और हरे रंग के वस्त्र पहने उसके बाद घट का पूजन करें । घट में फूल, अक्षत, रोली, चंदन, से पूजा करें । नवग्रह का पूजन फिर देवी का पूजन करें और उसके बाद भोग के रूप में आप दूध, दही, शक्कर ,घी और शहद अर्पण करें । उसके बाद उनके आगे घी का दीपक जला कर उनका आह्वाहन कर के उनकी कथा को पढ़ें । 108 बार इस मंत्र का जाप करें "दधानां करपद्याभ्यामक्षमालाकमण्डल, देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्माचारिण्यनुत्तमा " यह बहुत ही लाभकारी होगा ।
व्रत कथा :-
माँ ब्रह्मचारिणी का जन्म हिमालय और मैना की पुत्री के रूप में हुआ । उनके बड़े होने पर देवर्षि नारद जी ने उन्हें शिव की प्राप्ति के लिए ब्रह्मा जी की तपस्या करने को कहा और ब्रह्मचारिणी की कठोर तपस्या से ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर उन्हें उनका मनवांछित फल दिया । जिसके फलस्वरूप माता भोले नाथ की पत्नी बन गई । मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से सुख, समृद्धि प्राप्त होती है और जीवन में संदेव ख़ुशी बानी रहती है और मनुष्य रोग मुक्त होता है । माँ ब्रह्मचारिणी को पंचामृत का भोग लगाना चाहिए।