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भारतीय संविधान का निर्माणः
कैबिनेट मिशन योजना में भारतीय संविधान के निर्माण हेतु परोक्ष निर्वाचन के आधार पर एक संविधान सभा के निर्माण का प्रावधान था। इस योजना के अनुसार चुनाव हुए और संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर, 1946 को डॉ. सच्चिदानंद की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। सभा ने जो संविधान बनाया उसे 26 नवंबर, 1940 को अंतिम रूप से स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद यह संविधान 26 जनवरी, 1950 को भारत में लागू कर दिया गया।
वर्तमान मेः
वर्तमान में 448 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां जिसे 25 भागों में बांटा गया है (विभाजित) किया है। निर्माण के समय 395 अनुच्छेद 8 अनुसूचियां थी और 22 भागों में विभाजित था। भारत का संविधान पूरे संसार में सबसे विशाल अर्थात सबसे बड़ा संविधान कहलाता है।
42 वें संविधान संशोधन द्वारा इसमें ‘समाजवादी’ तथा ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘राष्ट्र की एकता’ शब्द बढ़ाए गए |
‘हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक, गणराज्य बनाने के लिए, और इसके सब नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार अभिव्यक्ति, धर्म निवेश वास व पूजा की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त करने के लिए, और इसमें व्यक्ति की गरिमा का ध्यान रखने वाला और राष्ट्र की एकता बनाए रखने वाला बंधुत्व बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपने इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 को ई. संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
भारतीय संविधान की विशेषताएः
मौलिक अधिकारः
मौलिक अधिकार वे अधिकार है जिनका संविधान में उल्लेख कर उन्हें नागरिकों के लिए सुरक्षित बना दिया जाता है। संविधान ने भारतीय नागरिकों को निम्न मौलिक अधिकार प्रदान किए थे, किंतु 44 वें संविधान संशोधन से संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं रह गया है। अब संपत्ति का अधिकार केवल कानूनी अधिकार है।
देश के सार्वजनिक हित एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सरकार मौलिक अधिकारों पर युक्तिसंगत प्रतिबंध लगा सकती है।
मौलिक कर्तव्यः
संविधान के 42 वें संशोधन द्वारा मौलिक अधिकारों के अध्याय में कुछ कर्तव्य को जोड़ा गया जिसमें मूल कर्तव्यों की व्यवस्था की गई है वह इस प्रकार है—
और पढ़े- राज्य के नीति निर्देशक तत्व क्या है ?
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blogger | Posted on
भारत का संविधान, जिसे भारत के नाम से भी जाना जाता है, राज्यों का एक संघ है। यह सरकार की संसदीय प्रणाली के साथ एक संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य है। गणतंत्र भारत के संविधान के संदर्भ में शासित है जिसे 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा पेश किया गया था और यह 26 जनवरी, 1950 को पुरे भारत में लागू हुआ था। संविधान में सरकार के संसदीय स्वरूप का प्रावधान किया गया है, जो कुछ एकात्मक राज्यों की संरचना में संघीय है। विशेषताएं। संघ की कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख भारत का प्रथम आदमी (राष्ट्रपति) होता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार, संघ की परिषद में राष्ट्रपति और दो सदन होते हैं जिन्हें राज्यों की परिषद (राज्य सभा) और लोक सभा (लोकसभा) के रूप में जाना जाता है। संविधान का अनुच्छेद 74 (1) प्रदान करता है कि राष्ट्रपति की सहायता और सलाह देने के लिए प्रधान मंत्री के साथ मंत्रिपरिषद होगी, जो सलाह के अनुसार अपने कार्यों का उपयोग करेगा। वास्तविक कार्यकारी शक्ति इस प्रकार प्रधान मंत्री के साथ मंत्रिपरिषद में निहित है, जिसके प्रमुख हैं।
भारत में दुनिया का सबसे लंबा संविधान 448 अनुच्छेद, 25 भागों और 12 अनुसूचियों के साथ है। भारत का संविधान नागरिकों और सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली और अपनाई जाने वाली संहिता, प्रक्रियाओं, अधिकारों, कर्तव्यों, नियमों और विनियमों का सीमांकन है। बी. आर. अम्बेडकर मुख्य वास्तुकार थे और "भारतीय संविधान के जनक" के रूप में जाने जाते थे। संविधान 26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था जिसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रारंभ के समय, इसमें 225 लेख 22 भागों और 8 अनुसूचियों में थे। अब तक संविधान में 104 संशोधन किए जा चुके हैं। भारतीय संविधान के हिस्सों, और अनुसूचियों के साथ-साथ कुछ लेखों की विस्तार से जाँच करें।
भारतीय संविधान के अंग
शुरू में, भारतीय संविधान के 22 भाग थे। बाद में, संशोधन के साथ और सारे भाग जोड़े गए जो IVA, IXA, IXB और XIVA है । भारतीय संविधान के कुछ हिस्सों पर एक नज़र डालें।
भाग 1
संघ और उसके क्षेत्र
अनुच्छेद
1. संघ का नाम और क्षेत्र।
2. नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना।
3. नए राज्य बनाने का अधिकार और राज्यों के , सीमाओं या नामों के बदलाव का अधिकार ।
4. 1 और 4 संशोधन के लिए प्रदान करने के लिए अनुच्छेद दो और तीन के तहत बनाए गए कानून
अनुसूचियां और पूरक, आकस्मिक और परिणामी मामले।
भाग द्वितीय
नागरिकता
5. संविधान के प्रारंभ में नागरिकता।
6. कुछ ऐसे व्यक्तियों की नागरिकता के अधिकार जो भारत से पाकिस्तान चले गए हैं।
7. कुछ प्रवासियों की नागरिकता के अधिकार।
8. भारत के बाहर दूसरे देशो में रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों के नागरिकता का अधिकार।
9. किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की स्वेच्छा से नागरिक होना।
10. नागरिकता के अधिकारों की निरंतरता।
11. संसद के द्वारा नागरिकता के अधिकार को बदलने का कानून ।
भाग 3
12. परिभाषा।
13. मौलिक अधिकारों के असंगत या अपमानित करने वाले कानून।
समानता का अधिकार
14. कानून के समक्ष समानता।
15. धर्म, जाति, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को अपराध माना जायेगा ।
16. सार्वजनिक रोजगार के लिए समानता का अवसर ।
17. अस्पृश्यता का उन्मूलन।
18. उपाधियों का उन्मूलन।
स्वतंत्रता का अधिकार
19. बोलने की स्वतंत्रता, आदि के बारे में कुछ अधिकारों का संरक्षण।
20. अपराधों के लिए सजा के संबंध में अधिकार ।
21. जीवन की सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता।
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भारतीय संविधान देश का सर्वोच्च एक विस्तृत कानूनी दस्तावेज है। अन्य सभी प्रकार की विधियां भारतीय संविधान के अंतर्गत ही आती हैं। भारतीय संविधान में विभिन्न राजनीतिक दर्शन, नागरिकों के मूल अधिकार, नागरिकों के मूल कर्तव्य के अलावा विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का विभाजन इत्यादि अनेक प्रकार के प्रावधानों को जोड़ा गया है है। इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मध्य विषयों एवं शक्तियों का विभाजन के बारें में भी बताया गया है, ताकि राज्यो और केन्द्रो के बीच उत्पन्न होने वाले विवादो को कम किया जा सके। हमारा भारतीय संविधान विभिन्न विशेषताएं अपने अंदर समेटे हुए हैं।
भारतीय संविधान को भारत की संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था और यह 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ था।
भारतीय संविधान में कुल कितनी धाराएं हैं?
संविधान लिखते समय इसमें मूलभूत रूप से 395 अनुच्छेद या धाराएं 22 भाग तथा 8 अनुसूचियां थी। मूल अनुच्छेद की संख्या आज भी इतनी ही है। लगातार संविधान संशोधनो के कारण वर्तमान समय में कुल अनुच्छेदों की संख्या 448 , 25 भाग और 12 अनुसूचियां है।
और पढ़े- भारतीय संविधान किसने लिखा ?
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Youtuber | Posted on
भारतीय संविधान में धाराओं को अनुच्छेद के रूप में जाना जाता है। भारतीय संविधान को शुरुवात में 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभक्त किया गया और इसके साथ ही शुरुवात में इसमें 8 अनुसूचियां भी थीं । लेकिन वर्तमान में भारतीय भारतीय संविधान में 470 अनुच्छेद है जोकि 25 भागो में विभक्त हैं इसके साथ ही 12 अनुसूचियों का प्रावधान हमारे संविधान में है ।
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Student | Posted on
भारतीय सविधान में कुल धाराएं की संख्या वर्तमान समय में, 448 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं और ये 25 भागों में विभाजित है। परन्तु इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियां थीं, सविधान से सम्बंधित महत्वपूर्ण सवाल यहाँ से पढ़ा जा सकता है जो विशेषकर प्रश्न उत्तर पर आधारित है.
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आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की भारतीय संविधान में कुल धाराए की संख्या वर्तमान समय में 448 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियां हैं, और 25 भागों में विभाजित है। भारतीय संविधान को शुरुआत में 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभक्त किया गया था। और इसके साथ ही शुरुआत में इसमें आठ अनुसूचियां भी थी। भारतीय दंड संहिता (IPC) में धाराओं की संख्या 511 है। इससे पहले भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। भारतीय संविधान 2 वर्ष 11 माह और 18 दिनों में बनकर तैयार हुआ था।
संविधान की परिभाषा:--
संविधान एक मौलिक कानून है जो किसी देश का संचालन करने,सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा तथा कार्य निर्धारण करने एवं नागरिकों के हितों का संरक्षण करने के लिए नियम दर्शाता है।
26 नवंबर भारत को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया था,जबकि 26 जनवरी के दिन भारत में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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जब हमारे संविधान की रचना हुई थी तब इसमें 395 अनुच्छेद या धाराएं थी l मूल अनुच्छेद की संख्या संविधान में आज भी इतनी ही है l परंतु समय- समय पर होने वाले संशोधनों के कारण आज कुल अनुच्छेदों की संख्या 448 हो गई है l लेकिन यह मूल अनुच्छेद ही विस्तार रूप से स्थापित किए गए हैं l
उदाहरण के लिए केंद्र सरकार ने जब स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश को स्वीकार करते हुए 42 वें संविधान संशोधन 1976 को लागू किया तब संविधान के अनुच्छेद 51 में एक नया अनुच्छेद 51 जोड़ा गया l और 10 मूल कर्तव्य संविधान में स्थापित किए गए l
इसी प्रकार मूलत संविधान में 22 भाग व 8 अनुसूचियां थी आजसंख्या क्रमशः 25 व 12 है l 26 नवंबर को भारत का संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है l
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भारतीय संविधान में कुल धाराए की संख्या वर्तमान समय में 448 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियां हैं, और 25 भागों में विभाजित है।हम धाराओं की बात करें तो धाराएं भारतीय दंड संहिता में होती है, जिसे आईपीसी की धाराएं कहा जाता है।केंद्र सरकार ने जब स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश को स्वीकार करते हुए 42 वें संविधान संशोधन 1976 को लागू किया तब संविधान के अनुच्छेद 51 में एक नया अनुच्छेद 51 जोड़ा गया l और 10 मूल कर्तव्य संविधान में स्थापित किए गए lभारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 को बंद कर तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। भारतीय संविधान को बनने में 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन का समय लगा।संविधान लिखते समय इसमें मूलभूत रूप से 395 अनुच्छेद या धाराएं 22 भाग तथा 8 अनुसूचियां थी। मूल अनुच्छेद की संख्या आज भी इतनी ही है।
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