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माता सीता को सत्य की मूर्ति कहा जाता है । देवी सीता मिथिला के राजा जनक की सबसे जेष्ठ पुत्री थी सीता एक पतिव्रता स्त्री थी इनका जीवन बहुत ही कठिनाइयों से भरा हुआ था इनके अंदर इतनी सहनशीलता थी की वे हर कठिन से कठिन परिस्थिति में धैर्य रखती थी। माता सीता बहुत ही साहसी थी जब रावण माता सीता का अपहरण करके अशोक वाटिका में रखा था इन कठिन परिस्थितियों में भी माता सीता ने अपना धैर्य और साहस, सहनशील सभी धर्मों का पालन किया था रावण ने माता सीता को झुकाने के लिए शाम दंड हर तरह की नीति अपनाई लेकिन माता सीता उसके सामने झुकी नहीं।
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जिस प्रकार श्री राम को पुरुष में उत्तम और पुरुषोत्तम कहा जाता है ठीक उसी प्रकार माता सीता भी महिलाओं में से सबसे उत्तम है आइए आज हम बता रहे हैं कि सीता माता किस प्रकार की थी।
सीता माता एकदम सत्य की बनी हुई थी सीता माता का जब रावण ने उनका अपहरण किया था और उन्हें अशोक वाटिका में रखा था तब भी सीता माता ने कठिन परिस्थितियों में सील सहनशीलता साहस और धर्म का पालन किया और रावण ने उन्हें मास दाम दंड भेद तरह की नीति से अपने और झुकाने का प्रयास किया लेकिन सीता माता नहीं झुकी थी क्योंकि रावण की ताकत और वैभव में अपने पति श्री राम और उनकी शक्ति ही नजर आती थी। सीता माता इतनी सत्य की बनी हुई थी उन्होंने धरती माता के अ गोद में आने का वरदान मांगा तो धरती माता भी फट कर उन्हें अपने गोद में स्थान दे दिया और सीता माता के ऊपर किए गए जुर्म में भी वे अपने पति के खिलाफ कभी भी कुछ भी नहीं बोली वह एकदम सत्य की नीति अपनाई है इसीलिए महिलाओं में इन्हें उत्तम माता भी कहा गया है.।
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आईये दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि सीता माता कौन थी। देवी सीता मिथिला के राजा जनक की सबसे जेष्ठ पुत्री थी सीता एक पतिव्रता स्त्री थी इनका जीवन बहुत ही कठिनाइयों से भरा हुआ था इनके अंदर इतनी सहनशीलता थी की वे हर कठिन से कठिन परिस्थिति में धैर्य रखती थी। सीता माता सत्य की मूर्ति थी जो कभी भी झूठ नहीं बोलती थी। जब रावण माता सीता का अपहरण करके अपने लंका ले गया था तो सीता माता को अशोक वाटिका में रखा था। तब भी सीता माता के साथ इतना जुर्म होने के बाद भी माता अपनी हिम्मत नहीं हारी, और रावण के जुर्म को सहती रही और फिर एक दिन भगवान श्री राम रावण का वध करके माता-पिता को वापस लेकर अयोध्या को चले गए। इस प्रकार हम सभी स्त्रियों को सीता माता की तरह बनना चाहिए।
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दोस्तों चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि सीता माता कौन है यदि आप को नहीं पता तो आप इस आर्टिकल को जरूर पढ़े। देवी सीता मिथिला के राजा जनक की सबसे जेष्ठ पुत्री थी। और देवी सीता मिथिला के राजा जनक की सबसे जेष्ठ पुत्री थी। और सीता को एक पतिव्रता स्त्री के नाम से भी जाना जाता है। और माता सीता एक पत्नी बेटी और मां के रूप में भक्ति का प्रतीक है. माता सीता को एक आदर्श और उत्तम चरित्र की देवी माना जाता है।और माता सीता एक प्रसिद्ध हिंदू की देवी हैं। जो अपने साहस,पवित्रता, समर्पण, निष्ठा और बलिदान के लिए भी जानी जाती हैं। और त्रेता युग में इन्हें सौभाग्य की देवी लक्ष्मी का अवतार भी कहा गया है।और माता सीता भगवान राम जी की पत्नी है। जो सत्य की देवी के रूप मे जानी जाती है।
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माता सीता रामायण और राम कथा पर आधारित ग्रंथ जैसे रामचरितमानस, कंब रामायण के मुख्य नायिका हैं। माता सीता मिथला नरेश जनक के यहां जन्मी थी। माता सीता मिथिला नरेश जनक की सबसे जेष्ट पुत्री थी. इनका विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र श्री राम से स्वयंवर में शिव धनुष भंग करने के उपरान्त हुआ था।माता सीता ने इस धरती पर स्त्री व पवित्रता धर्म का पूर्ण रूप से पालन किया। माता सीता सत्यता की मूर्ति थी. त्रेता युग में इन्हें सौभाग्य की देवी लक्ष्मी का अवतार कहा गया है। माता सीता ने कई कठिनाइयां का सामना किया है उन्होंने शक्ति और साहस के साथ परीक्षणों और कष्टों से भरा जीवन जिया है। माता सीता एक प्रसिद्ध हिंदू देवी हैं. जो अपने साहस,पवित्रता, समर्पण, निष्ठा और बलिदान के लिए जानी जाती हैं। माता सीता एक पत्नी बेटी और मां के रूप में भक्ति का प्रतीक है. माता सीता को एक आदर्श और उत्तम चरित्र की देवी माना जाता है माता सीता ग्रहणी, घर में रह कर रोटी बनाने के साथ-साथ प्रभु श्री राम के हर कार्य में हाथ बटांती थी। माता सीता ने कई मुश्किल परिस्थितियों में उन्होंने सहनशीलता,साहस और धर्म का पालन किया है। माता सीता को लंका के राजा रावण ने उनका अपहरण करके 2 वर्ष तक माता सीता को अशोक वाटिका में कैद करके रखा . रावण ने सब,दाम,दंड,भेद हर तरह की नीति से अपनी और झुकने का प्रयास किया, लेकिन माता-पिता नहीं झुकी. क्योंकि उन्हें रावण की ताकत और वैभव के आगे अपने पति श्री राम और उनकी शक्ति के प्रति पूर्ण विश्वास था।
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